Thursday, September 12, 2013

                                               तज़ुर्बे और रिश्ते 

 आज एक बार फिर मै अपने आप को दुनिया के सामने बौना समझने पर मजबूर हो गया क्यूंकि जब आप किसी चीज़ को गलत कर उससे ठीक करने की कोशिश करते हैं तो  कहीं ना कहीं कुछ एक चीजें ऐसी होती हैं जिनके रहते वो ठीक तो क्या सामान्य भी नहीं हो पाती।

             

                                        अब आप सोच रहे होंगे की मेरे जीवन में अब
ऐसा क्या हो गया जिसे लेकर  इतना चिंतित हूँ, तो मै  आपको पहले तो ये बता दूँ की मेरे जीवन की  है वो बड़ी ही जटिल है और इसे समझने के लिए ना हीं आपके पास इतना समय है और ना ही उसे समझा पाने की मुझ में उतनी ताक़त।खैर , मुद्दे की बात ये है की जब हम कोई रिश्ता कायम करते हैं तो हम यह समझते हैं की हम इस रिश्ते को कभी कमज़ोर नहीं पड़ने देंगे और साथ ही साथ हमारी यह भी कोशिश रहती है की चाहे जितनी भी मुश्किलें हों हम उस रिश्ते को किसी भी हालत में संभाल  लेंगे।
        परन्तु जीवन यदि इतना आसान होता तो फिर इश्वर इसकी रचना कभी नहीं करता क्यूंकि हम  हैं की इश्वर हमे कभी भी वो नहीं देता जो हम चाहते हैं बल्कि वो देता है जो  होता है या फिर जिस में सबसे ज्यादा मेहनत  होती है। मगर शायद कुछ लोग इस बात को सिर्फ इसलिए नहीं समझ पाते क्यूंकि जीवन का संघर्ष क्या है सही मायने में अगर देखा जाए तो वे इस बात को कभी नहीं समझ पाते और शायद  इसीलिए उन्हें जीवन का वास्तविक स्वरुप दिखाई नहीं पड़ता क्यूंकि जीवन वो पहेली है जिसे जब तक उसके भीतर तक जाकर नहीं परखा जाए तब तक वो बस एक  ही नज़र आता है.
                   
 मुझे इस विषय  की बस इसलिए सूझी क्यूंकि जिन रिश्तों को हम तिनके - तिनके जोड़ कर बनाते हैं उन्हें  एक  छोटा सा हवा का झोका बिखेर कर रख देता है फिर चाहे वो हवाएं किसी भी किस्म की हों उन हवाओं को ये पता नहीं होता की जिन रिश्तों को उन्होंने अपने आगोश में एक झटके में ले लिया उन्हें संजोने और एक धागे में पिरोने में इंसान को कितनी म्हणत करनी पड़ी होगी और ये बात सिर्फ वो ही समझ सकते हैं जिन्होंने या तो रिश्तों को बिखरते या फिर टूटते देखा हो क्यूंकि कहते हैं ना की बारिश का एहसास लोगों को तभी होता है जब उनके खुद के घर की छत  से पानी गिर रहा हो वर्ना दूसरों का बसा बसाया घर चाहे बह जाए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

               
 जीवन के बारे में जितनी मेरी समझ है उन सब के अनुसार मै  बस इतना ही समझ पाया हूँ की हम कहीं ना कहीं तजुर्बों के आगे झुक से गए हैं फिर चाहे वो तजुर्बा सही हो या गलत. यदि ये तजुर्बे सही हों तो ये वो कर सकते हैं जिनकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की है परन्तु यदि येही तजुर्बे गलत हो तो ये उस विनाश के परिचायक हैं जिनकी उम्मीद ना तो हम कभी कर सकते हैं और ना  कभी कर  पायेंगे। इसलिए ये बहुत  ज़रूरी है की जिन रिश्तों को हमने इतनी मेहनत  से खड़ा किया उन्हें इन चंद  बेबुनियाद तजुर्बों से कतई  बर्बाद  ना करें। हमे कोई हक नहीं बनता रिश्तों को बनाने का यदि हम उन्हें संभल ना पायें तो। 
      कहने का सार सिर्फ इतना है की कोई भी रिश्ता तजुर्बों के आधार पर बनाया तो नहीं जाता मगर यदि यही रिश्ते गलत तजुर्बों के आधार पर या फिर उन्हें ढाल बना कर तोड़ दिए जाएँ तो सचमुच कहीं ना कहीं ये सोचने की ज़रूरत है की हमारे  रिश्ते  हमारे तजुर्बों  के आगे छोटे   पड़ते जा रहे हैं और अगर समय रहते हमने अपने तजुर्बों का इस्तेमाल सही जगह पर नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब हम रिश्तों के मेले में तजुर्बों के मदारी के आगे सिर्फ मौन नृत्य कर रहे होंगे और शायद हमे देखने वाला कोई भी ना होगा।
     
  मेरा लिखने का प्रयोजन सिर्फ इतना है जो इंसानी रिश्ते हमारे या आपके गलत तजुर्बों से बर्बाद हो रहे हैं उन्हें बचाने की ज़रूरत है वरना ईश्वर  के जिस बहुमूल्य वरदान के हम आज अधिकारी है कहीं ऐसा ना हो की कुछ एक लोगों की वजेह से या फिर उनकी बातों में आकर हम उन् रिश्तों को ख़त्म कर दें जो हमने इतनी मेहनत  से खड़े किये हैं.
ये कुछ लोग आपके बिच से हो सकते हैं और दोनों (रिश्ते और तजुर्बों ) को बचाने के लिए ये बहुत ज़रूरी है की हम विश्वास की डोर को टूटने ना दें क्यूंकि ये जीवन का वो अमूल्य साधन है जहाँ से किसी भी रिश्ते की शुरुआत  होती है और जिस दिन ये टूट गया यकीन  कीजिये हम चाह  कर भी कुछ नहीं कर पायेंगे इसलिए यह ज़रूरी है की विश्वास करने वाला और भरोसा जितने वाला दोनों ही इनको ध्यान में रखें और अगर नहीं तो हमे ये सोचना होगा की क्या इस धरा पर ऐसा कोई मनुष्य नहीं जिन पर हम अपना भरोसा दिखाएँ अगर नहीं तो धिक्कार है हमारी ऐसी मानवता पर जिस पर हम इतना इतराते हैं, धिक्कार है हमारी मनुष्यता पर  हमसे कही अच्छा तो वो कुक्कुर  हैं जो जानवर ही सही मगर कम से कम समय आने पर अपने मालिक से वफादारी तो करता है. 


   
  मित्रों, मेरा कहना सिर्फ इतना है की हम लोगों पर विश्वास करें बिलकुल करें लेकिन कभी भी उनके भरोसे को तोड़े नहीं क्यूंकि भरोसा ही वो जरिया है जिनके सहारे हम जीवन के हर मझधार  को हँसते हँसते पार कर जाते हैं और जिस दिन ये भरोसा टूट जाता है तो वो तूफ़ान में खड़े उस नाव की तरह होता है जिसे खुद खुद भी नहीं बचा सकता इसलिए विश्वास और विश्वासी ये दोनों जीवन में बड़े बहुमूल्य है और येही किसी भी रिश्ते का आधार होता है. 
        इसलिए मेरा आप सबों से अनुरोध है की चाहे कोई भी बात हो , समस्या हो आप उन्हें ही बताएं जो आप भरोसा करते हों और आप उन् पर और साथ ही साथ यह भी देखे की ये भरोसे कभी टूट ना पायें क्यूंकि टूटे बर्तन तो हम जोड़ लेंगे मगर रिश्ते और भरोसे एक बार टूट गए तो फिर कभी नहीं जुड़ेंगे जितनी चाहे कोशिश  कर लो। 
  रहीम ने अपने दोहे में भी कहा है की:
  रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चटकाए 
टूटे से फिर ना जुड़े  और जुड़े गाँठ पद जाये. 

जिस दिन हम इन शब्दों के अर्थ को समझ जायेंगे यक़ीनन हम ये समझ लेंगे की रिश्ते कितने नाज़ुक होते हैं और जिस दिन हम ये जान गए यकीन  कीजिये हम सब एक बेहतर रिश्ते कायम करने में कामयाब हो जायेंगे। 
इसलिए लोगों का भरोसा मत टूटने दीजिये और इस भरोसे को जितना चाहे मजबूत बनाईए ।

बहुत -बहुत स्नेह  और प्रेम  के साथ 
आपका एस.के. 







Wednesday, February 15, 2012

                                               चिंतन 

आज  बड़े दिनों बाद कुछ लिखने का दिल कर रहा है इसलिए नहीं की मै  खुद को अकेला  महसूस कर रहा हूँ बल्कि इसलिए क्यूंकि आज एक बार फिर  मानवता अपनी साड़ी सीमाओं  को पार कर  शर्मसार  हुई  है , एक बार फिर हम सब ये सोचने पर मजबूर हुए हैं की क्या  हम जिस  देश में रह रहे हैं क्या वाकई  ये देश  हमारे लिए पूरी तरेह से महफूज़ है? क्या  कभी सोने की चिड़िया  कहा जाने वाला ये देश सचमुच  आज अपनी घुलमि से आजाद है ? शायद  नहीं!!! क्यूंकि  आज इस देश में जो कुछ भी हुआ  वो शायद  गुलामी  की जंजीरों  से कहीं ज्यादा बदतर  और   खौफनाक है .
           जी  हाँ मै  बात कर रहा हूँ   देश के उस जघन्य  कुकर्म की  जिसकी शिकार  एक  मासूम  हुई जिसका कसूर सिर्फ इतना था की  वो किसी के घर की बेटी थी , उसका कसूर  सिर्फ  इतना था  की वो एक ऐसे देश की  महिला थी  जहां एक  ओर  हम  महिलाओं  माँ का दर्ज़ा देते है  ,  तो दूसरी ओर  उन्हें  भोग और विलास  की वास्तु मात्र मानते हैं। मैं बात कर रहा हूँ देश की उस महँ वीरांगना की  जो  कुछ  दरिंदो की दरिंदगी के आगे   हार गयी , वो हार गयी  इस सोच से की  क्या  हम इस देश में कभी भी  महिलाओं  को एक सम्मान  भरा जीवन दे पायेंगे  शायद इसका  जवाब हम में से किसी के पास  नहीं है . 
  ये  वो वीरांगना  थी  जो ना तो किसी आज़ादी की लड़ाई की  हिस्सेदार थी और ना  ही  इसने   कभी ये सोचा था की  इसके  जीवन में  कभी भी ऐसा मोड़ आएगा जहाँ  इसे अपनी  ज़िन्दगी का  दामन    इस तरह  से छोड़ना  पड़ेगा . मानवता  को शर्मसार  करने  वाली ये घटना है  दिल्ली  की उस  छात्रा  की जो  आम  लोगों की तरह जिन चाहती  थी कुछ करना चाहती थी  पर किसे  पता था की  नियति को कुछ और ही मंज़ूर था , कौन जानता था  की  उसके जीवन में  एक ऐसा भूचाल  आने वाला है जो सिर्फ उससे ही नहीं बल्कि पुरे देश और समाज  को हिल कर रख देगा .
             आज वो  वीरांगना  हमारे  बीच  नहीं है पर उसने  कई  ऐसे सवाल  खड़े किये हैं  जो हमे ये सोचने पर मजबूर करते हैं की क्या ये वही  संस्कार है  जिन्हें पाकर बुद्ध  और  राम की ये धरती कभी पवन  हुई  थी , क्या ये वही संस्कार हैं  जीने पाकर  हम ये कहते हैं की हमारा भारत अतुल्निय है , शायद नहीं !!!!
इस  वीरांगना  की  मृत्यु  ने हमारी कानून  व्यवस्था के साथ - साथ  उन  सौ  करोड़ जनता को भी  सवालों  के घेरे में ल खड़ा किया है  जहाँ ये सोचने की ज़रूरत है की क्या  हम वही लोग है  जो कभी  द्रोपदी के  चिर हरण को  देख कर  भाव  बीभोर  हो उठे  थे  शायद  नहीं!!!!!!
  इस  महान  योद्धा  की  मृत्यु  ने आज ये  साबित कर दिया की कहीं ना कहीं हम  कमज़ोर पड़ते जा रहे हैं, कहीं ना कहीं हमारी कानून  व्यवस्था  शिथिल  होती जा रही है, कहीं ना कहीं  हमारा समाज  हमारी उस  धरोहर को बचने में नाकाम  होता  जा रहा है जिसकी हम  सब किसी ज़माने  में पूजा किया  करते थे।       "   यत्र  नार्यस्तु  पूजयन्ते , रमन्ते तत्र  देवता "
 ये  विचार  सिर्फ अब किताबी  बातें बन कर रह गयी  हैं, लगता है   हम  वो सब भूल चुके हैं  जहाँ हमने  नारी एक अपमान  पर  पता नहीं  महाभारत और रामायण जैसे कितने  ग्रन्थ लिख  डाले।
    इन  सारी  बातों से हटकर आज हमे ये सोचने की सरुरत है की क्या  हम अपने आने वाले कल को  एक बेहतर और  सभ्य समाज  देने की कल्पना कर सकते हैं , क्या हम  ये मान ले की  आने वाले कल में ऐसे जघन्य  अपराध नहीं  होंगे, या फिर हम ये समझ  ले की  हमारा  संविधान  और हमारा  क़ानून  नपुंसक  हो चूका है  जो इस देश  की  उस  धरोहर  को  बचाने में  नाकामयाब  है  जिसे  हम  जननी , बहेन , बेटी , और पत्नी  के रूप में देखते हैं। 
    आज   वो वक़्त आ चूका है जब हम  सब एक जुट  होकर ये  प्रण  लें  की हम  ना सिर्फ  कानून  व्यवस्था  बल्कि खुद के  आचरण  और सोच में भी एक  बदलाव  लायें और ये तभी संभव  है  जब हम  ये समझ  जायेंगे की   औरत  इश्वर  का वो  वरदान है  जो  हर कदम पर ना सिर्फ  हमारे साथ  होती है बल्कि  हमारा स्तित्व   भी  उनकी  वजह  से ही  है। 
  इसके साथ साथ यह भी ज़रूरी  है की हम अपनी  कानून  व्यवस्था   में  बदलाव  कर  ना सिर्फ ऐसे अपराधियों को सजा  दे  बल्कि एक  ऐसी  मिसाल  कायम करें  की भविष्य कोई भी  ऐसे अपराध  करने से पहले सौ  बार सोचे।
   आज उस परिवार  के बिच  उनकी  लाडली नहीं है  लेकिन मुझे यकीं है की उन्हें  इस बात  का ग़म होने के साथ साथ  इस  बात का फक्र होगा  की उनकी लाडली ने इस देश को फिर से  जीने की एक वजह दी है।  इस  देश को  ये  सोचने पर मजबूर  कर दिया है की क्या  भविष्य  में ऐसे अपराधों  को  रोकने के लिए  कुछ  सराहनीय  कदम  उठाए जा सकते हैं, शायद  हाँ। 
  इस  विरांगना  को हम अपनी सची श्रधाञ्जलि  तभी  दे पायेंगे जब उन् पापियों को  उनके किये की सजा मिलेगी और ना सिर्फ उन्हें बल्कि इस देश के  हर  उस  पापी  को  जिसने जाने अनजाने कहीं ना कहीं  मानवता  और  मातृत्व  को  शर्मसार  करने का ऐसा जघन्य अपराध  किया हो। 
  आज हम  सब  (मै  भी ) उस शोक  सन्तप्त  परिवार के साथ हैं पर  ये ज़रूरी है की  ऐसा कोई भी  परिवार दुबारा  इस तरह  के  दुःख  को  दुबारा ना झेले  और इस्सके लिए ये ज़रूरी  है  हम  खुद को बदलें, कानून  को बदलें और  ऐसे  नियम बनायें  जहाँ हम गर्व  से कह सकें  की हाँ  ये वहीँ देश है जहां नारियों को  सम्मान  की  द्रष्टि  से देखा जाता है  वरना वो  दिन दूर नहीं  जब मानव का  स्तित्व  मिट जाएगा  क्यंकि जब नारी  ही नहीं होगी  तो फिर हम ये कैसे  कल्पना कर सकते  हैं की हम इस दुनिया  में  जन्म  लेंगे और  कुछ करेंगे, इस्सलिये ये ज़रूरी  है की हम आज इस पर  चिंतन  करें और  इस्सके रोकथाम  के लिए आगे आयें।
              " मेरी  बहादुर बहेन  के जज्बे  को सलाम , तुम कहीं रहो  ना रहो मेरी यादों में हमेशा रहोगी  "

Saturday, February 26, 2011

views of human nature

HELLO DEAR FRIENDS........
hope that u all are fine with the grace of god and going well with your life.
today i have nothing special to say or to share but the only reason for what i have aprroached you is about some true facts about human nature n its behaviour which i myself has felt today so in order to check it by the means of your views i am writing this blog.
man always tries to give his best but in my case whenever i want to do something good it results in a opposite condition.i can hardly remember a moment when i have done something and it has gone in the right way.i dont know why it happens to me?but in order to get the solutions of these problems i was thinking the whole night but was totally helpless and was unable to find the solutions.
i dont know how to get rid of this problems and when ever i asked to myself that would i be able to get the  sucess in this regard i always find myself unanswered so this one kind of human nature that when a person struggles with his own thoughts and feelings he is almost helpless to get the answer in his favour.
   coming on to the another side of this situation when i tried myself to get the views of others in this regard they named it as my own perception and some of them name it as the thoughts of a phillosophical mind and a few of them regard it as my sense of madness, as one of my friend always do to me. whenever i ask him about myself that how can i make my life better or whenever i ask any of my nearest one about  this they simply ignore it. so itz the second most important view of the society upon anyone's feelings.
and the most prominent nature which is the third nature view of any other person regarding any one's thought is that they just ignore it or some of them name it as useless talkings.
so these are the feelings of the society around me about my thoughts n i must say that its not in my case only instead its in the case of the human community as a whole.
so i should say that we must respect the feelings of one another as its the only way through which we can come closer to every one in the society or if we can't respect it then we dont have the right to make fun of it as it can hurt someone.
i just shared it with you people because this things happend with me no. of times but still i have the ability to share the feelings b'coz i know that everybody has a soft corner in his heart so one day this softness will melt all the hard and rude natures of humanity one day.
i will also suggest to the people who are always being hurt byt others to just keep their feelings inside nand not to share it as a few of them can make fun of it.
so feelings are various ways of expression.it can strike someones mind or it may can change someone's life.
at last i must say that  feelings n emotions are the great captains of our lives n we must obey them n respect them otherwise it can these captains can keep us systemetically away from its real feeling.

hope that u all will respect 
each one's feelings n emotions 
with love n respect
your's
shivek(s.k)
                                   

Thursday, February 17, 2011

मेरी सोच

नमस्कार दोस्तों ........
आशा है आप सब कुशल होंगे बहुत दिन हुए आप सबों से मुखातिब हुए तो मैंने सोचा की क्यूँ ना आज आप लोगों का हाल चल ले लिया जाए?
आज एक बार फिर मेरे मन में एक अजीब सी उहा पोह मची है और इसका कारण क्या है ये शायद मुझे भी पता नहीं !!
मेरे विचार से  ये इस लिए है क्यूंकि मैं एक बार फिर अपने भविष्य को लेकर चिंतित हूँ ,एक बार फिर मुझे ये लग रहा है की पता नहीं मैं जीवन में कभी एक सफल इंसान  बन पाऊंगा या नहीं शायद इसका  जवाब मुझे पहले की तरह ही अपने आप से ढूंढना पडेगा और हो भी क्यूँ ना आखिर समस्या भी तो मेरी ही है.
खैर छोडिये मैं आपको एक बहुत ही मनोरंजक  बात बताता हूँ जो मैंने कल रात महसूस की -
कल जब मैं अपनी पढाई कर रहा था तो मेरे दिमाग एक बात आई और वो ये की इस देश में हजारों लाखों  बच्चे ऐसे हैं जिनका भविष्य अंधकारमय है और जिनकी पढाई लिखाई का सपना बिलकुल वैसे ही धूमिल है जैसे कडकडाती ठण्ड में धुंध से आसमान और तभी मैंने फिर ये सोचा की मैं जो हमेसा अपनी ही बातें करता हूँ और हमेसा अपने ही बारे में सोचता हूँ कितना गलत हूँ क्यूंकि इस देस में मुझसे भी  ज्यादा पीड़ित और मुझसे भी ज्यादा दुखी लोग हैं जिनकी व्यथा सुनने वाला यहाँ कोई नहीं है, आज भी कई ऐसे लोग हैं जो हर वक़्त सिर्फ यही सोचते हैं की कभी कोई मसीहा आएगा और कोई चमत्कार होगा और तब मुझे लगा की कितना सहस है इस देस के उन लोगों में जो सदियों से आज भी एक सकारात्मक मानसिकता लिए और उम्मीदों के सपने अपनी आँखों में संजोये जीवन व्यतीत कर रहे हैं . तो फिर मैं तो एक सक्षम पुरुष हूँ जो हर व्यवस्था से परिपूर्ण है जब वैसे लोग अपने जीवन से उम्मीद रख सकते हैं तो आप और हम क्यूँ नहीं?
मैं धन्यवाद देता हूँ देस कउन करोड़ों ऐसे लोगों को जिन्होंने मुझे एक नकारात्मक मानसिकता का शिकार होने से बचा लिया और मैं उने इस लिए भी धन्यवाद देता हूँ क्यूंकि इन्ही की वजह से मुझे एक नयी दिशा मिली अपने जीवन के लक्ष्य के साथ आगे जाने की और उससे पाने की.
मैं ऐसे लोगों को कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ.
इश्वर करे उनके जीवन में ज़रूर रौशनी हो और वो लोग अपने संघर्षमय जीवन से आगे बढ़कर जीवन में कुछ हासिल करें और इसी तरह से हम जैसे लोगों के जीवन के प्रेरणा के श्रोत बने रहें.

मुस्कुराते रहिय-
आपका अपना 
एस.के.
आपका दिन मंगलमय हो.......
 

Monday, February 14, 2011

मेरी रचनाएँ

मित्रों नमस्कार.........
आज जो मैं आप लोगों क साथ बांटने जा रहा हूँ वो मेरी बचपन की यादों क पन्नों से चुराए हुए कुछ शब्द हैं जो मैंने कविता क रूप में आप लोगों क सामने रखने काप्रयास किया है उम्मीद करता हूँ की आप लोगों को ये कविता पसंद आएगी ..........
ये कविता मैंने उस वक़्त लिखी थी जब मैंने कुछ बच्चों को स्कूल जाते देखा और खुद के समय को याद किया तब मुझे लगा की क्यूँ ना मैं भी कुछ शब्दों क माध्यम से अपनी बचपन की यादों को तारो ताज़ा करूँ और तभी मेरे दिमाग में ये कविता करने का ख्याल आया........
मेरी ये कविता मेरी बचपन की उन शरारतों और यादों से जुडी हैं जो मैंने कभी अनजाने में और कभी जानबूझ कर की थी.
मेरी कविता का शीर्षक है .......
                                                           बचपन की यादें GGGGDG
                                                       भुलाये नहीं भूलते वो बचपने के दिन
                                                     बिताये जो मैंने कितनी खुशियों के  साथ 
                                                            वो माँ की लोरी 
                                                           वो पिता का हाथ
                                                          वो  भाई  बहन  का प्यार
                                                            वो दोस्तों का साथ 
                                                            वो खेलता हुआ चेहरा 
                                                             वो हर वक़्त सुनेहरा  
                                                             जहाँ की मैंने  मस्ती
                                                               और घुमा बस्ती - बस्ती 
                                                                 ना था कोई टेंशन 
                                                                और ना ही डीप्रेशन
                                                                  ना पढाई की थी चिंता 
                                                                   ना फिक्र थी खाने की 
                                                                जहाँ ना था थकने का एहसास 
                                                                     और ना हीं फिक्र स्कूल जाने की
                                                                      जिसने दी मुझे दिशा 
                                                                    जीवन में आगे जाने की
                                                                          कैसे भुला दूँ मैं
                                                                          यादें उस ज़माने की ?
                                                                                                                                                                               दोस्तों आज के लिए बस इतना ही
फिर मिलेंगे और तब होंगी फिर कुछ नयी बातें  और फिर करेंगे कुछ नए विषयों पर चर्चा तब तक के लिए मुझे दीजिये इज्जाज़त
फिर मिलेंगे
आपका जीवन मंगलमय हो........
आपका अपना 
एस. के.

                                                                              
                                                                            
 




Thursday, February 10, 2011

Thursday, February 10, 2011

IT HAPPENS ONLY IN INDIA

Hi.... Friends......
2day a new turning point came in arushi hemraj murder case as  cbi has put her parents on trial.........
it's no denying the fact that her soul is still facing injustice even after her death.no body knows that how she lost her life but our law is playing games with her soul as they are still unable to put the victims behind the bars.
  As far as the question of involving her parents is concern it is still not clear but on the other hand i would also say that they must be put behind the bars if they are involved in it...... but how can we do that as our law is completely flexible.......
regarding this flexiblity we have a no. of  examples in our country n the most prominent example is azmal kassab whom we are giving full protection.
It is the flexiblity of our law that kassab is still alive.I question to the law that is it the rght of our country to safeguard this people or is it our duty to hang them,i think this question is still unanswered for us.
  in the same way arushi a 14 yr. old girl was brutally murdered nobody knows whatever the reasons are?
friends it is a burning issue now a days that this innoncent girl is still facing injustice even after several years of her death.
  god has given us this life and nobody has the right to snatch it up then who r we to take it away......
is it not an abuse to humanity or a condemn of relations?
whatever the reasons may be it is still injustice to the whole human society.......

dats it for 2day                                                                                                    your's
                                                                                                                               shivek(sk)

thnx                                    

Tuesday, February 8, 2011

friendship

hi friends
now after telling u about me i m now going to tell u some thing about friendship which i think every body should know.
friendship is the wealth that generally each n everybody have but a very few of them knows how to preserve it...... n rest of them took it as a means of entertainment so for those who took it as entertainment let me tell u that its a very prercious gift which god has given us n it is also the most valuable thing in dis world according to my opinion i m quite sure that most of us donot take it seriously but there are still some person who regard friendship as their precious wealth.
regarding this topic i must quote one of the lines which i think everybody knows is
      "FRIENDSHIP IS THE GREEN HILL ON THE SIDE OF THE LIFE'S                DUSTY          ROAD".
We have a number of examples from past to present in order to understand the value of friendship for example we have the example of krishna and sudama who really proved the value of friendship.
in my opinon it is the weapon through which we can defend the worms of angriness and jelousy which is now a days very much dominant in todays youths
so i appeal all my friends who ever read this blog to rely always on true friendship whetaher it is a true love or somewhat else so that we can make this world a better place to live in or i can say "HEAVEN".


dats it
for 2day                                                                                     with love
                                                                                                   yours shivek(sk)


  

about myself

hi
myself shivek born on 10th nov. 1989 at gaya completed my 10th n 12th studies there itself n later on i moved to hyderabad in efl university for learning a foreign language n right now i m in jnu pursuing d same course but one thng is dat i m very much passonate about my goals n i do some kind of poetry in hindi n dats my hobby
but i m very much unlucky as i dont hv frndz n moreover they hv very much bad assumptions about me..........
i tried ma best to make them understnd all d time but i failed whnevr i tried for dis i failed but i hv not given up i m sure n confident dat the day iss not so far when they will understnd me n i will b a better person for them apart from dis i m very much confident about myself having a just do attitude with full dedication
as i m a differently challenged person so i request to all the person of differently challenged category not to loose their patience n go ahead in lyf in order to get success
so frnds dats it for 2day keep reading my blogs for further updates...... n also to knw the truth of ma lyf.........
   bye........
tkcare.......